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बलरामपुर: सुशासन तिहार के बीच BMO की गैरहाजिरी, कलेक्टर की अनुमति के बिना छुट्टी पर सवाल..!

Posted on Jun 12, 2025 03:53 PM

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बलरामपुर: सुशासन तिहार के बीच BMO की गैरहाजिरी, कलेक्टर की अनुमति के बिना छुट्टी पर सवाल..!

"आदित्य गुप्ता"

बलरामपुर -: छत्तीसगढ़ में सुशासन तिहार 2025 की गूंज के बीच बलरामपुर जिले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जहां एक ओर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में शासन-प्रशासन जनता की समस्याओं के समाधान के लिए गांव-गांव तक पहुंच रहा है, वहीं जिले के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी, खंड चिकित्सा अधिकारी (BMO) डॉ. अनूप टोप्पो, बिना किसी लिखित सूचना के पखवाड़े भर से अनुपस्थित हैं। यह अनुपस्थिति तब और गंभीर हो जाती है, जब सामान्य प्रशासन विभाग ने सुशासन तिहार के दौरान बिना कलेक्टर के अनुमोदन के छुट्टियों पर स्पष्ट प्रतिबंध लगाया हुआ है।

सुशासन तिहार और समाधान शिविर की गंभीरता

सुशासन तिहार 2025 का तीसरा चरण 5 मई से 31 मई तक चल रहा है, जिसमें पूरे प्रदेश में समाधान शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इन शिविरों का उद्देश्य जनता की शिकायतों और मांगों का समयबद्ध निराकरण करना है। बलरामपुर जिले में भी विभिन्न ब्लॉकों में शिविर आयोजित हो रहे हैं, जहां जिला और ब्लॉक स्तर के अधिकारी सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। इन शिविरों में स्वास्थ्य जांच, निशुल्क दवाइयां, और सरकारी योजनाओं की जानकारी जैसी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय स्वयं इन शिविरों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं, जिससे इस अभियान की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन ऐसे में स्वास्थ्य विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की अनुपस्थिति न केवल प्रशासनिक अनुशासन पर सवाल उठाती है, बल्कि जनता के प्रति जवाबदेही पर भी सवालिया निशान लगाती है।

BMO की अनुपस्थिति: अनुशासनहीनता या कुछ और?

जानकारी के अनुसार, बलरामपुर ब्लॉक के खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनूप टोप्पो पिछले पखवाड़े से बिना किसी लिखित सूचना के गायब हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों के अनुसार, सुशासन तिहार के दौरान किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बिना कलेक्टर की अनुमति के छुट्टी लेने की अनुमति नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि डॉ. टोप्पो ने किसके सह पर यह अनुपस्थिति अपनाई? क्या यह प्रशासनिक लापरवाही है या इसके पीछे कोई अन्य कारण है?

आज बलरामपुर ब्लॉक के डवरा में आयोजित समाधान शिविर में भी डॉ. टोप्पो की अनुपस्थिति चर्चा का विषय बनी। स्वास्थ्य विभाग से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए शिविर में पहुंचे ग्रामीणों को निराशा हाथ लगी, क्योंकि BMO की गैरमौजूदगी में विभाग का कोई जिम्मेदार प्रतिनिधि मौजूद नहीं था। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य सेवाओं पर असर डाल रही है, बल्कि सुशासन तिहार के उद्देश्य को भी कमजोर कर रही है।

प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल

सुशासन तिहार का मूल मंत्र है पारदर्शिता, समयबद्धता और जनता के प्रति जवाबदेही। ऐसे में एक वरिष्ठ अधिकारी की अनुपस्थिति न केवल प्रशासनिक अनुशासन को कमजोर करती है, बल्कि जनता के बीच सरकार की विश्वसनीयता को भी प्रभावित करती है। कलेक्टर विलास भोसकर ने हाल ही में एक समीक्षा बैठक में सभी विभागीय अधिकारियों को सुशासन तिहार के तहत प्राप्त आवेदनों का प्राथमिकता से निराकरण करने के निर्देश दिए थे। ऐसे में BMO की गैरहाजिरी पर क्या कार्रवाई होगी, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

जनता की अपेक्षाएं और सरकार की प्रतिबद्धता

सुशासन तिहार के तहत पूरे छत्तीसगढ़ में लाखों आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से अधिकांश का निराकरण समयबद्ध रूप से किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, राजनांदगांव जिले में 1.27 लाख से अधिक आवेदनों में से 84,129 का निराकरण हो चुका है। बलरामपुर में भी समाधान शिविरों के माध्यम से लोग अपनी समस्याओं को लेकर उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। लेकिन स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में जिम्मेदार अधिकारी की अनुपस्थिति ग्रामीणों के लिए निराशाजनक है।

आगे क्या?

यह मामला अब प्रशासन के लिए एक लिटमस टेस्ट है। क्या डॉ. अनूप टोप्पो की अनुपस्थिति पर कोई ठोस कार्रवाई होगी, या यह मामला “दूध-भात” की तरह अनदेखा कर दिया जाएगा? सुशासन तिहार का उद्देश्य जनता और प्रशासन के बीच विश्वास का सेतु बनाना है, और इसके लिए जरूरी है कि हर अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाए। यदि स्वास्थ्य विभाग जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इस तरह की लापरवाही बरती जाएगी, तो सुशासन का लक्ष्य अधूरा रह सकता है।जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि इस मामले की गंभीरता को समझते हुए त्वरित जांच की जाए और दोषी के खिलाफ उचित कार्रवाई हो, ताकि सुशासन तिहार की साख बरकरार रहे और जनता का भरोसा अटूट रहे।

निष्कर्ष

सुशासन तिहार 2025 छत्तीसगढ़ में प्रशासन और जनता के बीच एक नया अध्याय लिख रहा है, लेकिन बलरामपुर में BMO की अनुपस्थिति जैसे मामले इसकी चमक को फीका कर सकते हैं। यह समय है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले और सुशासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साबित करे। जनता की नजर अब इस बात पर है कि इस गंभीर लापरवाही का समाधान कैसे और कब होगा।

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